लखनऊ
यूपी की राजधानी लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डिफेंस इंड्यूटियल कॉरिडोर में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रोडक्शन यूनिट का वर्जुअली उद्घाटन किया. इस दौरान कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल थे. इस यूनिट को हर साल 80 से 100 मिसाइलों के प्रोडक्शन के लिए डिजाइन किया गया है. इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि आतंकवाद कुत्ते की पूंछ है, जो कभी सीधी नहीं होगी. उसको उसी भाषा में जवाब देना होगा. हमने ब्रह्मोस मिसाइल के लिए दो सौ एकड़ जमीन दी. अब यहां ब्रह्मोस बनना शुरू होगा. ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत आपने ऑपरेशन सिंदूर में देखी होगी, अगर नहीं देखी तो पाकिस्तान वालों से पूछ लो कि ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत क्या है?
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि कोई भी आतंक घटना अब युद्ध मानी जाएगी और याद रखना आतंकवाद को जब तक हम पूरी तरह कुचलेंगे नहीं, तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा. अब समय आ गया है इसको कुचलने के लिए हम सभी को एक स्वर से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरे भारत को पूरे उत्तर प्रदेश को मिलकर अभियान के साथ जुड़ना होगा.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद कुत्ते की पूंछ है, जो कभी सीधी नहीं होने वाली. जो प्यार की भाषा मानने वाले नहीं हैं, उनको उनकी भाषा में जवाब देने के लिए तैयार होना होगा. इस दिशा में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से दुनिया को एक संदेश दे दिया है. लखनऊ में शुरू की गई एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी से हर साल 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों का उत्पादन किया जाएगा. इसके अलावा हर साल 100 से 150 Next Generation की ब्रह्मोस मिसाइलों का भी निर्माण किया जाएगा. ये मिसाइलें एक साल के अंदर तैयार कर दी जाएंगी.
अभी तक सुखोई जैसे लड़ाकू विमान सिर्फ एक ब्रह्मोस मिसाइल ही ले जा सकते हैं, लेकिन अब वे Next Generation की तीन ब्रह्मोस मिसाइलें ले जा सकेंगे. Next Generation की ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर से अधिक होगी और इसका वजन 1,290 किलोग्राम होगा, जबकि वर्तमान ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2,900 किलोग्राम है.
लखनऊ में 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह प्रोडक्शन यूनिट ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण करेगी, जिसकी मारक क्षमता 290 से 400 किलोमीटर है और इसकी अधिकतम गति मैक 2.8 है. भारत और रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित इस मिसाइल को जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है. यह 'फायर एंड फॉरगेट' गाइडेंस सिस्टम को फॉलो करती है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 के वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन के दौरान रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर पहल के हिस्से के रूप में प्रोडक्शन यूनिट की घोषणा की गई थी. इसके बाद साल 2021 में इसकी आधारशिला रखी गई थी. ब्रह्मोस मिसाइलें भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई हैं और इन्हें भारत के डिफेंस सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
इसी कार्यक्रम में टाइटेनियम और सुपर अलॉयज मैटीरियल प्लांट (स्ट्रैटेजिक मैटीरियल टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स) का भी शुभारंभ किया गया. इसमें एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का प्रोडक्शन जाएगा. इसके अलावा रक्षा परीक्षण अवसंरचना सिस्टम (डीटीआईएस) की आधारशिला रखी गई. डीटीआईएस का उपयोग रक्षा उत्पादों के परीक्षण और प्रमाणन के लिए किया जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई गई 80 हेक्टेयर भूमि पर निर्मित ब्रह्मोस प्रोडक्शन यूनिट साढ़े तीन वर्षों में पूरी हुई. यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में छह नोड हैं, जिनमें लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट शामिल है. इसका उद्देश्य प्रमुख रक्षा निवेशों को आकर्षित करना है. तमिलनाडु के बाद उत्तर प्रदेश ऐसा कॉरिडोर स्थापित करने वाला दूसरा राज्य है.