भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में बारिश के पानी का संचयन करने और पुराने जल स्त्रोतों को नया जीवन देने के लिए प्रदेश में 90 दिवसीय जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। इसमें प्रदेश के सभी जिलों में मनरेगा अंतर्गत खेत-तालाब, कूप रिचार्ज पिट, अमृत सरोवर सहित अन्य निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। सीहोर जिले ने बड़े पैमाने पर खेत-तालाब बनाने की मिसाल पेश की है। इस वर्ष 2025 में 687 से अधिक खेत तालाब प्रारंभ हो चुके हैं।
जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत सीहोर जिले में लगभग 1670 खेत-तालाब के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 687 पर कार्य प्रारंभ हो गया है। इसी प्रकार 2600 कूप रिचार्ज पिट का निर्माण किया जाना है। निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध जिला प्रशासन द्वारा 2250 कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसमें से 1440 पर कार्य भी प्रारंभ हो गया है। जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत जिलों में चल रहे कार्यों की मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
किसानों ने भी दिखाई रुचि, जिला प्रशासन की मेहनत लाई रंग, सिंचाई में होगा फायदा
किसान अपने खेतों में अधिक से अधिक खेत-तालाब बनवाए, इसके लिए जिला प्रशासन सीहोर की मेहनत रंग लाई है। खेत-तालाब को बनवाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को जागरूक किया गया। खेत तालाब का महत्व बताया। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीणों ने पानी के महत्व को समझा और खेत-तालाब को बनवाने में रुचि दिखाई। खेत-तालाब बनने से किसानों को सिंचाई के लिए आसानी से पानी मिलेगा। साथ पानी बहने के बजाय जमीन में जाएगा। इससे कुओं और ट्यूबवेल का वॉटर लेवल बढ़ेगा, जिसका फायदा किसानों को होगा।
फसलों की सिंचाई के साथ कर सकेंगे मछली पालन
सीहोर जिले की जनपद पंचायत इछावर की ग्राम पंचायत हालियाखेड़ी के ग्राम बालापुरा के किसान पीयूष, बापू सिंह, हजारी लाल, रामप्रसाद ने बताया कि पथरीली व बंजर जमीन होने के साथ पानी की सुविधा भी नहीं थी। इस वजह से फसलों की सिंचाई नहीं हो पाती थी। अब गांव में खेत तालाब बन जाने से फसलों की दो से तीन बार सिंचाई कर सकेंगे। साथ ही मत्स्य पालन सहित अन्य कार्य भी कर सकेंगे। किसानों ने गांव में खेत-तालाब बनने से खुशी जताई है। उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत हालियाखेड़ी में अब तक 7 खेत-तालाब बनाए जा चुके हैं और 5 प्रगतिरत है।
सिपरी सॉफ्टवेयर बना मददगार
जिला प्रशासन सीहोर के अनुसार खेत-तालाब के निर्माण में मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा तैयार कराया गया सिपरी साफ्टवेयर मददगार बना है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्थल चयन करने में आसानी हुई है। सिपरी (Software for Identification and Planning of Rural Infrastructure) सॉफ्टवेयर एक उन्न्त तकनीक का सॉफ्टवेयर है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जियोमार्फोलॉजी और हाइड्रोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके संरचनाओं का सही स्थान तय किया जा सकता है।