बीजापुर में कोरंडम खदान से पहले सैकड़ों पेड़ों की चुपचाप कटाई, प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल

admin
3 Min Read

बीजापुर

भोपालपटनम ब्लाक के कुचनूर क्षेत्र की वर्षों पुरानी कोरंडम खदान एक बार फिर चर्चा में है। इस बार खनन से पहले सैकड़ों पेड़ों की चुपचाप कटाई को लेकर इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है। बात यह है कि जहां मौके पर भारी पैमाने पर वनक्षेत्र साफ किया गया है। वहीं वन विभाग और खनिज विभाग दोनों ही इस गतिविधि से अनभिज्ञ होने का दावा कर रहे हैं।

करीब तीन दशक से बंद पड़ी खदान को लेकर हाल के दिनों में गतिविधियां तेज हुई हैं। भारी वाहनों की आवाजाही, मजदूरों की हलचल और वन क्षेत्र में साफ-सफाई जैसी गतिविधियां देखने को मिली हैं। लेकिन, इस पूरे स्थल पर न तो कोई सूचना बोर्ड है, न ही यह स्पष्ट है कि किस एजेंसी या ठेकेदार के अधीन यह कार्य हो रहा है।

स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह कार्य छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CMDC) के अंतर्गत किया जा रहा है। जिसने रायपुर के एक ठेकेदार को खदान संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि, यहां न तो CMDC का कोई स्थानीय कार्यालय मौजूद है, न ही उसके कोई कर्मचारी है।

पेड़ों की कटाई पर गंभीर सवाल
स्थानीय निवासियों का कहना है कि खदान क्षेत्र के आसपास सैकड़ों सागौन व अन्य कीमती पेड़ काटे जा चुके हैं। दो साल पहले  300 पेड़ों की कटाई की अनुमति ली गई थी, लेकिन अब बिना किसी सार्वजनिक सूचना या प्रक्रिया के दोबारा भारी कटाई की गई है। यह भी गौर करने वाली बात है कि खदान स्थल तक पहुँचने का रास्ता वन विभाग के नाके के पास से होकर गुजरता है, बावजूद इसके वन अमला इस कटाई से अनजान बना हुआ है।

वन विभाग की प्रतिक्रिया
इस विषय में जब आईटीआर के रेंजर रामायण मिश्रा  से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र 'उत्पादन विभाग' को हैंडओवर किया जा चुका है और पेड़ों की कटाई की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि वे स्थल का निरीक्षण कर स्थिति स्पष्ट करेंगे।

खनिज विभाग भी अनभिज्ञ
स्थानीय खनिज अधिकारियों ने भी इस काम के बारे में किसी प्रकार की आधिकारिक जानकारी होने से इनकार किया है। यदि वास्तव में कोई कानूनी प्रक्रिया के तहत खनन कार्य शुरू हुआ है, तो उसकी जानकारी और दस्तावेज सार्वजनिक रूप से उपलब्ध क्यों नहीं हैं?

प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह मुद्दा उठाया है कि क्या खदानों से जुड़े कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव अब भी बना हुआ है? यदि यह कार्य CMDC के माध्यम से किया जा रहा है, तो क्या जिले के अधिकारियों को सूचना देना जरूरी नहीं था?

 

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *