डेवाल्ड ब्रेविस को lbw आउट दे दिया था। इसमें गलती अंपायर की थी या ऑपरेटर की या फिर खुद बल्लेबाजों की?, जाने तहकीकात

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नई दिल्ली
IPL 2025 का 52वां लीग रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच खेला गया। बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले में आरसीबी को जीत मिली। ये एक हाई स्कोरिंग एनकाउंटर था। हालांकि, ये मैच इस बात के लिए ज्यादा जाना जाएगा कि डेवाल्ड ब्रेविस के साथ क्या हुआ। डेवाल्ड ब्रेविस को lbw आउट दे दिया था। इसमें गलती अंपायर की थी या ऑपरेटर की या फिर खुद बल्लेबाजों की? इसकी तहकीकात करते हैं, क्योंकि ये बहुत विवादास्पद फैसला नजर आया।

दरअसल, 17वें ओवर की तीसरी गेंद पर बल्लेबाजी के लिए डेवाल्ड ब्रेविस आए थे। चेन्नई की टीम मजबूत स्थिति में नजर आ रही थी। लुंगी एनगिडी ने पिछली गेंद पर ही 94 रनों के स्कोर पर आयुष म्हात्रे को आउट किया था। एनगिडी ने गेंद गेंद लॉ फुलटॉस फेंकी, जिसे ब्रेविस कनेक्ट नहीं कर पाए। गेंद पैड पर लगी और वे दौड़ पड़े। इस दौरान अंपायर नितिन मेनन ने उनको आउट दे दिया। यहां गौर करने वाली बात ये थी कि अपील तो हो रही थी, लेकिन जब अंपायर ने आउट दिया तो ना तो अंपायर की तरफ बल्लेबाज ब्रेविस का चेहरा था और ना ही दूसरे छोर से दौड़ रहे रविंद्र जडेजा का था। ये आप इस वीडियो में देख सकते हैं।

दोनों ने एक रन पूरा किया। उधर से थ्रो आया, जो स्टंप्स पर लगा तो रविंद्र जडेजा और डेवाल्ड ब्रेविस दूसरा रन दौड़ गए। उनको पता ही नहीं था कि ब्रेविस को आउट दे दिया गया है। जैसे ही उनको आउट का पता चलता तो सबसे पहले रविंद्र जडेजा और ब्रेविस ने कुछ बात की और फिर T यानी डीआरएस का इशारा किया। हालांकि, अंपायर नितिन मेनन ने इस अपील स्वीकार नहीं किया और ब्रेविस को पवेलियन लौटने के लिए कहा। रविंद्र जडेजा और डेवाल्ड ब्रेविस ने ये दलील भी दी कि स्टेडियम में लगे बड़े स्क्रीन पर 15 सेकंड का टाइमर नहीं चला तो उनको कैसे पता चलेगा कि टाइम खत्म हो गया है। हालांकि, फील्ड अंपायर नितिन मेनन ने इस अपील को खारिज किया और बल्लेबाज को पवेलियन लौटने के लिए कहा। बाद में जब रिप्ले देखा गया तो पता चला कि इस फुलटॉस गेंद पर इम्पैक्ट अंपायर्स कॉल है और हिटिंग लेग स्टंप के बाहर है। ऐसे में डीआरएस की मदद से कम से कम दो रन नहीं मिलने थे तो फैसला बदला जाता, लेकिन अंपायर नियमों की दलील देकर अड़े रहे।

कौन जिम्मेदार?
अब सवाल उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन है? क्या फील्डर अंपायर नितिन मेनन इसके जिम्मेदार हैं, जिन्होंने जल्दी नहीं बताया, या वह स्क्रीन ऑपरेटर, जो बल्लेबाज को आउट दिए जाने के बाद बड़े स्क्रीन पर 15 सेंकड का काउंटडाउन शुरू करता है या फिर खुद बल्लेबाज? जिन्होंने नहीं देखा कि अंपायर ने आउट का इशारा किया है। इसमें दोष बल्लेबाजों को कम जाएगा, क्योंकि जब इशारा हुआ तो उनका ध्यान बॉल पर था। यहां तक कि वे दूसरा रन इसलिए दौड़े, क्योंकि उनको लगा कि गेंद प्ले में है और इसी वजह से फील्डर ने थ्रो फेंका है। अब बात अंपायर और ऑपरेटर की आती है…अंपायर ने चलिए फैसला दे दिया कि आउट है (हालांकि, बल्लेबाज नॉटआउट था), लेकिन उस केस में बल्लेबाजों को अनुमति देता कि आप डीआरएस कुछ सेकंड बाद भी ले सकते हैं, क्योंकि 15 सेकंड का काउंटडाउन स्क्रीन पर नहीं था।

क्या कहते हैं नियम?
आईसीसी और आईपीएल की प्लेइंग कंडीशन्स में यही बात लिखी हुई है कि अगर किसी बल्लेबाज को आउट दे दिया जाता है तो उसी समय गेंद डेड हो जाती है। उसके बाद आप रन दौड़े या चौका चला जाए, कोई मतलब नहीं होगा। भले ही डीआरएस में फील्ड अंपायर का फैसला बदला ही क्यों ना जाए। 15 सेकंड के बाद आप रिव्यू भी नहीं ले सकते।

इस केस की बात करें तो दोनों बल्लेबाजों को पता नहीं था कि अंपायर का फैसला क्या है, दूसरी बात ये कि स्क्रीन पर काउंटडाउन नहीं था। इस केस में थर्ड अंपायर के पास फैसले को रेफर किया जाना चाहिए था, क्योंकि बल्लेबाजों का ध्यान गेंद पर था। इस बात को नजरअंदाज ना भी करें तो बड़े स्क्रीन पर 15 सेकंड का टाइमर भी नहीं था कि बल्लेबाज ये भांप सकें कि फैसला आउट या नॉट आउट का दिया गया है।

इस पर चेन्नई सुपर किंग्स के हेड कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने कहा, "हां, यह एक बड़ा पल था। जड्डू और ब्रेविस से बात करते हुए, सीधे रन दौड़ने के बारे में बहुत कुछ पता चला। मुझे लगता है कि उन्होंने गेंद को देखा और वास्तव में थ्रो के बाद गेंद चार रन के लिए बाउंड्री पार चली गई। इसमें वह खो गए। ब्रेविस ने समय पर रिव्यू लिया या नहीं। मुझे इसका उत्तर नहीं पता। वह निश्चित नहीं था, यह देखते हुए कि वे उस समय रन दौड़ रहे थे।"

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