ग्वालियर में बनी स्प्रिंग वंदे भारत एक्सप्रेस को ट्रैक पर दौड़ाएगी

admin
3 Min Read

 ग्वालियर

 हाई स्पीड ट्रेन शताब्दी, राजधानी और गतिमान के बाद अब वंदे भारत एक्सप्रेस(Vande Bharat Express) की स्प्रिंग का निर्माण भी रेल स्प्रिंग कारखाना सिथौली(Sithauli) में किया जाएगा। इसके लिए इलाहाबाद मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। उम्मीद है कि इस साल वंदे भारत ट्रेन के कोच भी ग्वालियर में बनी स्प्रिंग के सहारे पटरियों पर दौड़ने लगेंगे। देशभर में चलने वाली ट्रेनों के लिए स्प्रिंग का निर्माण करने वाले केवल दो कारखाने हैं, इनमें एक ग्वालियर के सिथौली में है और दूसरा आईसीएफ चैन्नई में है।

सिथौली(Sithauli) के रेल स्प्रिंग कारखाने में वर्षों से आईसीएफ (इंटीग्रल) और एलएचबी (लिंके- हॉफमैन ब्रुश) कोच की स्प्रिंग का निर्माण किया जा रहा है। इंडियन रेलवे लगातार स्प्रिंग की मांग बढ़ाता जा रहा है, इससे इस साल कारखाने का टारगेट भी पहली बार एक लाख स्प्रिंग से ऊपर चला गया है।

हर साल बढ़ रही स्प्रिंग की डिमांड
रेल स्प्रिंग कारखाना सिथौली(Sithauli) की शुरूआत 1989 में हुई थी। इसके बाद 1990 में स्प्रिंग बनना शुरू हो गई थी।यहां मांग के हिसाब से स्प्रिंगों का निर्माण किया जाता है और हर साल इसकी संया में इजाफा होता जा रहा है। इस साल पहली बार टारगेट एक लाख को पार कर गया है। फैक्ट्री में सबसे ज्यादा एलएचबी कोच की स्प्रिंग बनाई जाती हैं।

स्प्रिंग की संख्या बढ़ते ही तीन शिट में काम
45 लोगों को और मिला रोजगार 35 साल में पहली बार स्प्रिंग की संख्या बढ़ते ही दो की जगह तीन शिट में काम शुरू किया गया है। फैक्ट्री में 275 लोगों का स्टाफ है। तीसरी शिट शुरू होने से लगभग 45 लोगों को और रोजगार मिला है। यहां एक दिन में 450 से 500 स्प्रिंग बनाई जा रही हैं। जल्द ही हर दिन 600 स्प्रिंग बनाने की प्लानिंग की जा रही है।

तीन हजार स्प्रिंग से शुरू हुआ था कारखाना
सिथौली स्प्रिंग कारखाने में 1990 में स्प्रिंग का निर्माण शुरू हुआ था। पहले साल तीन हजार स्प्रिंग बनाई गईं। उसके बाद पांच हजार स्प्रिंग तैयार हुईं। मांग बढ़ते ही हर साल लक्ष्य बढ़ता गया और अब यह आंकड़ा एक लाख पार हो गया है।

50 मशीनों पर बनतीं स्प्रिंग
स्प्रिंग कारखाने में करीब 50 मशीनें लगी हुई हैं। इन मशीनों पर एक बार में दो से तीन कर्मचारी डिमांड के हिसाब से काम करते हैं। काम बढऩे पर कर्मचारी इसे आपस में बांट लेते हैं। भविष्य में और भी मशीनें आने की संभावना हैं, जिससे काम और बढ़ेगा।

सिथौली स्प्रिंग कारखाना में इस साल टारगेट एक लाख पार हो गया है। संभवत: इस साल से वंदे भारत की स्प्रिंग भी यहां बनाई जाएगी।– मनोज कुमार सिंह, पीआरओ झांसी मंडल

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *