झारखंड में महिलाएं होली के लिए प्राकृतिक विधि से हर्बल गुलाल बनाकर तैयार कर रही, नहीं होगा कोई रिएक्शन

admin
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झारखंड
होली नजदीक आ रही है। रंगों का त्योहार होली पर एक-दूसरे को गुलाल लगाया जाता है, लेकिन कभी-कभी गुलाब से त्वचा पर रिएक्शन हो जाता है जिससे लोग रंगों का इस्तेमाल करने से डरते हैं। वहीं, झारखंड में महिलाएं होली के लिए प्राकृतिक विधि से हर्बल गुलाल बनाकर तैयार कर रही हैं।

दरअसल, सिमडेगा जिले में महिलाएं होली के लिए प्राकृतिक विधि से हर्बल गुलाल बनाकर तैयार कर रही हैं। प्राकृतिक विधि से पलाश ब्रांड अंतर्गत पलाश हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। महिलाओं के मुताबिक प्राकृतिक गुलाल बनाने के लिए सूखे हुए पलाश के फूलों का प्रयोग किया जाएगा। इसमें हरा रंग बनाने हेतु सूखा हुआ पालक साग, गुलाबी रंग बनाने हेतु चुकंदर, पीला रंग बनाने हेतु हल्दी एवं फूल, लाल रंग के लिये फूल का प्रयोग किया जा रहा है जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। इस प्रकार के गुलाल त्वचा को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचता। महिलाओं के मुताबिक जिले में लगभग 200 किलो ग्राम का प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जा रहा है। समूह की उद्यमी दीदियों के द्वारा इस प्रकार का प्रयास अन्य के लिये प्रेरणा का स्त्रोत एवं महिला सशक्तिकरण के लिए निश्चय ही मील का पत्थर साबित होगा।

होली का त्यौहार
होली रंगों का तथा हंसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से 2 दिन मनाया जाता है। इसमें लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। बच्चे भी इस त्यौहार का खूब आनंद लेते हैं। बच्चे पिचकारी में पानी भर कर लोगों पर पानी बरसाते हैं, गुब्बारे मारते हैं। इस दिन सभी के घरों में अच्छे-अच्छे पकवान बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयां खिलाते हैं।

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