मध्य प्रदेश बीजेपी को जल्द मिल सकता है नया अध्यक्ष, नरोत्तम मिश्रा समेत इन नामों की चर्चा तेज

admin
3 Min Read

भोपाल

भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कभी भी हो सकता है. ऐसे में हर किसी की नजर नए अध्यक्ष पर है क्योंकि चर्चाओं में एक नहीं, कई नाम हैं. राज्य में बीजेपी के संगठन पर्व के तहत बूथ समिति, मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.

वहीं अब संभावना जताई जा रही थी कि जनवरी या फरवरी में प्रदेश अध्यक्ष का भी निर्वाचन हो जाएगा. हालांकि, दिल्ली के विधानसभा चुनाव के चलते निर्वाचन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी और निर्वाचन अधिकारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का दौरा तय नहीं हो पाया. राज्य में बीते एक पखवाड़े से प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की सरगर्मी तेज है और संभावना इस बात की जताई जा रही है कि आगामी दिनों में निर्वाचन अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान का भोपाल दौरा हो सकता है.

इस प्रवास के दौरान ही निर्वाचन प्रक्रिया भी पूरी कराई जा सकती है. राज्य के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को अध्यक्ष पद पर रहते हुए पांच साल से ज्यादा का समय हो गया है. शर्मा के नेतृत्व में विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़े गए जिनमें बीजेपी को बड़ी सफलताएं मिलीं.

इन नामों की चर्चा
वहीं बूथ विस्तारक अभियान सहित कई अभियान देश के अन्य राज्यों के लिए नजीर बने हैं. राज्य की बीजेपी इकाई का नया अध्यक्ष कौन होगा? इसके लिए कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं. वर्तमान में मुख्यमंत्री मोहन यादव पिछड़े वर्ग से आते हैं, इसलिए संभावना इस बात की जताई जा रही है कि पार्टी सामान्य वर्ग के व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है. राज्य में सामान्य वर्ग से पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला और विधायक हेमंत खंडेलवाल के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं.

क्या कहते हैं जानकार?
वहीं पार्टी का जोर अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोट बैंक पर भी है और इसके लिए प्रमुख तौर पर सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, फग्गन सिंह कुलस्ते और गजेंद्र पटेल के नाम चर्चा में हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति वर्ग से लाल सिंह आर्य का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में वर्तमान में सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल चल रहा है.

आगामी चार साल तक कोई चुनाव नहीं है, लिहाजा पार्टी की कोशिश सत्ता और संगठन में समन्वय रहे, यह प्रयास किए जा रहे हैं. इसलिए ऐसे नाम पर मुहर लगने की ज्यादा संभावना है जो संगठन को बेहतर तरीके से चला सके, सभी में समन्वय रखे और उसका सत्ता से भी टकराव न हो.

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *