लखनऊ : 03 सितम्बर, 2024 : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ का 36वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में 87,765 विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में उत्तीर्ण होने पर उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिसमें 218 पदक उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिए गए, जिनमें से 82 प्रतिशत पदक छात्राओं ने हासिल किए।
राज्यपाल जी ने हर वर्ष दीक्षांत समारोह में पदक/उपाधि प्राप्त करने में लड़कियों की लगातार बढती़ संख्या पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए विद्यार्थियों को अपने माता-पिता को शिक्षित करने के साथ-साथ समाज को भी शिक्षा के माध्यम से समृद्ध करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा ड्रॉप आउट नहीं होना चाहिए।
इस अवसर पर कुलाधिपति जी ने अपने संबोधन में चीनी यात्री फाह्यान का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानने की प्रेरणा देते हुए कहा कि देश के निर्माण की आधारशिला शिक्षा है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थी के अंदर बौद्धिकता और कौशल विकास करने के साथ ही चरित्र और नैतिक बल को मजबूत बनाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत युवा छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय का ज्ञान प्राप्त कर सकें। इसके लिए हमें अभी से प्रयास करने होंगे।
राज्यपाल जी ने नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक उपयोगिता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारे देश की परंपरा रही है कि लोग बाहर से हमारे देश में ज्ञान प्राप्त करने आया करते थे। नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय हमारे देश के गौरव का प्रतीक हैं, जहां से ज्ञान की ज्योत पूरे विश्व में फैली। हमें इस परंपरा को बनाए रखना चाहिए और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बने रहना चाहिए।
राज्यपाल जी ने हर वर्ष दीक्षांत समारोह में पदक/उपाधि प्राप्त करने में लड़कियों की लगातार बढती़ संख्या पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए विद्यार्थियों को अपने माता-पिता को शिक्षित करने के साथ-साथ समाज को भी शिक्षा के माध्यम से समृद्ध करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा ड्रॉप आउट नहीं होना चाहिए।
इस अवसर पर कुलाधिपति जी ने अपने संबोधन में चीनी यात्री फाह्यान का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानने की प्रेरणा देते हुए कहा कि देश के निर्माण की आधारशिला शिक्षा है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थी के अंदर बौद्धिकता और कौशल विकास करने के साथ ही चरित्र और नैतिक बल को मजबूत बनाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत युवा छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय का ज्ञान प्राप्त कर सकें। इसके लिए हमें अभी से प्रयास करने होंगे।
राज्यपाल जी ने नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक उपयोगिता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारे देश की परंपरा रही है कि लोग बाहर से हमारे देश में ज्ञान प्राप्त करने आया करते थे। नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय हमारे देश के गौरव का प्रतीक हैं, जहां से ज्ञान की ज्योत पूरे विश्व में फैली। हमें इस परंपरा को बनाए रखना चाहिए और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बने रहना चाहिए।