आपातकाल को सीएम योगी ने बताया लोकतंत्र का काला अध्याय, चौधरी बोले- इसके खिलाफ उठे स्वर को नमन

admin
3 Min Read

लखनऊ
भारत में 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को आज 50 साल पूरे हो रहे हैं। भाजपा ने इसे लोकतंत्र का काला दिवस करार दिया है। इसे लेकर भाजपा ने पूरे प्रदेश में जनता के सामने सच लाने के लिए आज अनेक कार्यक्रम कर रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी निशाना साधा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि 25 जून, 1975 भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस है। आज ही के दिन कांग्रेस ने देश पर आपातकाल थोपकर संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व नागरिक अधिकारों का गला घोंटने का कुत्सित कार्य किया था। देश में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हेतु संघर्ष करने वाले सभी महान लोकतंत्र के सेनानियों को कोटिशः नमन।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा कि 25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का वह दुर्भाग्यपूर्ण दिन था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लागू किया गया। यह निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर सीधा आघात था।

उन्होंने लिखा कि आज से 50 वर्ष पूर्व कांग्रेस सरकार की ओर किए गए इस दमनकारी निर्णय की स्मृति में यह दिन ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में याद किया जाता है। यह उन असंख्य लोगों के साहस, संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है, जिन्होंने आपातकाल के अमानवीय अत्याचारों का सामना करते हुए भी लोकतंत्र की ज्योति की रक्षा की।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने लिखा की आज ही के दिन 25 जून 1975 को भारतीय संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटकर आपातकाल लागू किया गया था। आज का दिन हमें उस काले अध्याय की याद दिलाता है, जब देश में आपातकाल लगाकर संविधान, न्यायपालिका, मीडिया और नागरिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास किया गया था। जनता से उनके मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी लिखते हैं कि 25 जून 1975 आजाद भारत का सबसे काला कालखण्ड भारतीय राजनीति और लोकतंत्र के इतिहास का सबसे विशाल काला अध्याय ‘आपातकाल’ के खिलाफ उठे हर स्वर को कोटि-कोटि नमन। ज्ञात हो कि 25 जून 1975 को देश में पहली बार इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में आपातकाल (इमरजेंसी) लागू की थी। आपातकाल की घोषणा से स्वतंत्रता समेत सभी मौलिक अधिकारों, सभा के अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। प्रेस पर पूरे तौर पर सेंसरशिप लागू की गई।

 

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *