हरियाणा सरकार ने प्रदेश में लिंगानुपात को लेकर लापरवाही बरतने वालों पर सख्त रवैया अपना लिया

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चंडीगढ़
 स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की बैठक में पिछले मामलों की समीक्षा की गई।इस दौरान टास्क फोर्स ने लिंगानुपात की निगरानी में लापरवाही बरतने पर चरखी दादरी के पूर्व सीएमओ डॉ. राजविंदर मलिक व लिंगानुपात लगातार कम होने पर भिवानी की गोपी सीएचसी के कार्यवाहक एसएमओ डॉ. एम नेहरा को चार्जशीट करने के आदेश जारी किए हैं।साथ ही अवैध गर्भपात करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि यदि कोई डॉक्टर इसमें संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर उसका लाइसेंस रद्द किया जाए।अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अल्ट्रासाउंड और एमटीपी केंद्रों पर लगातार निगरानी और छापे की कार्रवाई की जाए। साथ ही नवजात बच्चों का पंजीकरण अभियान बढ़ाने का निर्देश दिया। इसमें मुख्य रूप से चरखी दादरी जिले का नाम लिया गया, जहां लक्षित कार्रवाई की जरूरत बताई गई।

इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं से जुड़ी सहेली के कामकाज पर निगरानी बढ़ाने को कहा गया, जहां गर्भपात की घटनाएं हुईं हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) की सख्त निगरानी के निर्देश देते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों में अवैध गर्भपात की रिपोर्ट की जा रही है, वहां के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) की जवाबदेही तय की जाए।

राज्य टास्क फोर्स (STF) की साप्ताहिक समीक्षा बैठक में हेल्थ विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने अवैध गर्भपात कराने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई डॉक्टर इसमें शामिल पाया जाता है तो उसका लाइसेंस तक रद्द किया जाए।सरकार का साफ कहना है कि लिंगानुपात सुधारना सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

902 से बढ़कर 906 हुआ लिंगानुपlत

रिव्यू मीटिंग में अवैध गर्भपात पर अंकुश लगाने और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत राज्य के लिंगानुपात में और सुधार लाने के प्रयासों को तेज करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। मीटिंग में बताया गया कि हरियाणा में लिंगानुपात इस वर्ष एक जनवरी से लेकर 23 जून तक बढ़कर 906 हो गया, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 902 था।

यहां पढ़िए किन मामलों में चार्जशीट के ऑर्डर..

1. चरखी-दादरी जिले में पूर्व CMO नपेंगे

टास्क फोर्स ने लिंगानुपात निगरानी से संबंधित कर्तव्यों में लगातार गैर-प्रदर्शन के लिए चरखी दादरी के पूर्व सीएमओ डॉ. राजविंदर मलिक को चार्जशीट करने का फैसला किया। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं से जुड़ी सहेली के कामकाज-खासकर जहां गर्भपात की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं, की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बारीकी से निगरानी की जाएगी।

2. भिवानी सीएचसी में मिली लापरवlही

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) की सख्त निगरानी के निर्देश देते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों में अवैध गर्भपात की रिपोर्ट की जा रही है, वहां के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (SMOएसएमओ) की जवाबदेही तय की जाए। एक अन्य मामले में उन्होंने भिवानी के सीएचसी-गोपी के कार्यवाहक एसएमओ डॉ. एम. नेहरा को उनके क्षेत्र में कम लिंगानुपात के कारण चार्जशीट करने का निर्देश दिया।

3. सोनीपत के आयुष डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन रद्द

सोनीपत के खरखौदा में एक आयुष चिकित्सक का पंजीकरण रद्द कर दिया गया और अवैध गर्भपात प्रथाओं के लिए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान को शहरी क्षेत्रों में भी विस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे बालिकाओं को बचाने के महत्व के बारे में शहरी आबादी के बीच जागरूकता पैदा करने में उपायुक्तों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को सक्रिय रूप से शामिल करें।

ब्लीडिंग पर गर्भवती महिला की होगी रिवर्स ट्रैकिंग

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि रक्तस्राव के लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचने वाली किसी भी महिला को रिवर्स ट्रैकिंग से गुजरना होगा और यह पता लगाने के लिए परीक्षण किया जाना चाहिए कि उसने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) की गोलियां खाई हैं या नहीं। यदि कानून का कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो बिना देरी के उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

अच्छे रिकॉर्ड वाली सहेलियां सम्मानित होंगी

अधिकारियों को उन सहेलियों की पहचान करने के भी निर्देश दिए गए जिन्होंने बालिकाओं के सफल जन्म को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसी सहेलियों को उनके प्रयासों को मान्यता देने और इस महत्वपूर्ण कार्य में व्यापक सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के साधन के रूप में संबंधित सीएमओ द्वारा प्रोत्साहित किया जाएगा। मीटिंग में स्वास्थ्य विभाग के सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि रक्तस्राव के लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचने वाली किसी भी महिला को रिवर्स ट्रैकिंग से गुजरना होगा। महिलाओं की जांच की जाएगी कि उन्होंने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) की गोलियां खाई हैं या नहीं। यदि कानून का कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

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