क्या आप जानते हैं कि आखिर नर्मदा नदी उल्टी क्यों बहती है?

admin
5 Min Read

भारत में नदियों से लोगों की धार्मिक आस्थाएं जुड़ी हैं. हमारे देश में लगभग 400 नदियां बहती हैं और इनमें से कुछ नदियों को देवी के समान पवित्र माना जाता है. इन पवित्र नदियों की विधि-विधान से पूजा भी की जाती है. गंगा, यमुना और सरस्वती की तरह ही नर्मदा नदी भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र मानी जाती है. जहां एक ओर ज्यादातर नदियां पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर बहती हैं वहीं, नर्मदा एक ऐसी नदी है जो पूर्व दिशा से पश्चिम की ओर जाती है और अरब सागर में मिल जाती है.

आसान शब्दों में कहें तो नर्मदा नदी उल्टी दिशा में बहती है. नर्मदा नदी को ‘आकाश की बेटी’ भी कहते हैं. हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर नर्मदा जयंती मनाई जाती है, जो कि आज यानी 4 फरवरी को मनाई जा रही है. नर्मदा जयंती के मौके पर आपको बताते हैं कि आखिर नर्मदा नदी उल्टी क्यों बहती है.

इन पुराणों में मिलता है नर्मदा का वर्णन
रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ पुराणों में नर्मदा का उल्लेख मिलता है. वायु पुराण और स्कंद पुराण के रेवा खंड में नर्मदा नदी के अवतरण और महत्व की कथा का वर्णन किया गया है. इसी कारण नर्मदा को रेवा भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में पवित्र नदी मानी जाने वाली नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है. इसके अलावा, नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर कई देवस्थान भी स्थित है.

वहीं, नर्मदा के तट पर कई महान ऋषियों जैसे अगस्त्य, भारद्वाज, भृगु, कौशिक, मार्कण्डेय और कपिल आदि ने तपस्या की थी. आइए यहां आपको विस्तार से जानें नर्मदा नदी के धार्मिक और पौराणिक महत्व के बारे में बताते हैं. साथ ही नर्मदा नदी क्यों उल्टी बहती है, इसकी पौराणिक कथा भी बताएंगे.

नर्मदा नदी की उत्पत्ति कैसे हुई?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा नदी की उत्पत्ति भगवान शिव से मानी जाती है. इसी कारण इसे शिव जी की पुत्री या शंकरी भी कहा जाता है. ऐसा कहते हैं कि नर्मदा के किनारे पाया जाने वाला हर पत्थर शिवलिंग के आकार का होता है. इन लिंग के आकार वाले पत्थरों को बाणलिंग या बाण शिवलिंग के नाम से जाना जाता है, जो कि हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय माने जाते हैं.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान भोलेनाथ मैकल पर्वत पर तपस्या में लीन थे. इस दौरान देवताओं ने उनकी आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया. शिवजी की तपस्या के दौरान उनके शरीर से कुछ पसीने की बूंदें गिरीं, जिससे एक सरोवर की उत्पत्ति हुई. इसी सरोवर से एक द्वितीय सौंदर्य कन्या प्रकट हुई. इस कन्या का सौंदर्य देख देवताओं ने उसका नाम ‘नर्मदा’ रखा.

नर्मदा नदी उल्टी क्यों बहती है इसका क्या कारण है?
नर्मदा उल्टी क्यों बहती है, इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा मिलती है. इस पौराणिक कथा के अनुसार, नर्मदा राजा मेकल की पुत्री थीं. जब नर्मदा विवाह योग्य हो गईं, तो राजा मेकल ने ऐलान किया की कि जो गुलबकावली का फूल लेकर आएगा, वह उनकी बेटी नर्मदा से विवाह करेगा. इस चुनौती को राजकुमार सोनभद्र ने पूरा किया और इसके बाद इसके बाद नर्मदा और सोनभद्र की शादी तय हुई गई.

एक दिन नर्मदा ने राजकुमार को देखने की इच्छा व्यक्त की और नर्मदा ने इसके लिए अपनी सहेली जोहिला को सोनभद्र के पास संदेश लेकर भेजा. जब सोनभद्र ने जोहिला को देखा, तो उन्हें नर्मदा समझकर प्रेम प्रस्ताव रखा. जोहिला यह प्रस्ताव ठुकरा नहीं पाई और सोनभद्र से प्रेम करने लगीं.

जब नर्मदा को इस बात का पता चला, तो वह बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने आजीवन कुंवारी रहने का प्रण लिया. उसी समय से नाराज होकर नर्मदा विपरीत दिशा में बहने लगीं और अरब सागर में जाकर मिल गईं. तब से ही नर्मदा नदी को एक कुंवारी नदी के रूप में पूजा जाता है. नर्मदा नदी के हर कंकड़ को नर्वदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है.

नर्मदा उल्टी बहने का वैज्ञानिक कारण
हालांकि, नर्मदा नदी के विपरित दिशा में बहने को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि नर्मदा नदी रिफ्ट वैली की वजह से उल्टी बहती है यानी नदी के प्रवाह के लिए जो उसका ढलान बनता है, वह उल्टी दिशा में है. ऐसे में जिस ओर नदी का ढलान होता है, वह नदी उसी दिशा में बहती है.

 

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *