पिछले 11 सालों में 8 प्रभारी आए और चले गए, नहीं बना पाए कांग्रेस का संगठन, अब राहुल गांधी ने स्वयं संभाली कमान

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चंडीगढ़ 
पिछले 11 सालों में आठ प्रभारियों द्वारा हरियाणा कांग्रेस का संगठन बनाने में विफल रहने के बाद अब राहुल गांधी ने स्वयं कमान संभाल ली है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बुधवार को चंडीगढ़ में इसी मुद्दे पर कसरत करके गए।परिणाम क्या निकलेंगे यह भविष्य के गर्भ में है। चर्चा है कि गुजरात माडल को अपनाते हुए कांग्रेस ने तय किया है कि हरियाणा में कांग्रेस के अधिकतर जिलाध्यक्ष 50 साल की उम्र के आसपास के होंगे। इससे अधिक उम्र का कोई नेता यदि जिलाध्यक्ष के लिए दावेदारी करता है तो उसके नाम पर राहुल गांधी के स्तर पर ही विचार किया जाएगा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी में इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी है कि हरियाणा के नेताओं की आपसी गुटबाजी के चलते कांग्रेस सत्ता में आते-आते रह गई। पिछले 11 सालों में शकील अहमद, पृथ्वीराज चव्हाण, बीके हरिप्रसाद, गुलाम नबी आजाद, कमलनाथ, विवेक बंसल, शक्ति सिंह गोहिल और दीपक बाबरिया हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी रहे, लेकिन वे कांग्रेस का संगठन तैयार नहीं कर सके। बीके हरिप्रसाद को दोबारा हरियाणा का प्रभार मिला है। उन्होंने कहा है कि पहले भी मैंने ही संगठन बनाया था और अब भी मैं ही संगठन तैयार करूंगा। लेकिन जिस तरह से पिछले चार माह से संगठन में अपने प्रभाव को लेकर कांग्रेस नेताओं में जंग छिड़ी हुई है, उसके मद्देनजर राहुल गांधी को ही चंडीगढ़ आना पड़ा।

कांग्रेस को गुटबाजी से ऊपर उठाने और किसी खास ग्रुप को तरजीह देने के स्थान पर अब कांग्रेस के जिलाध्यक्षों का चुनाव प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाएगा। खासतौर पर सभी 22 जिलों में जाने वाले पर्यवेक्षकों द्वारा जातिगत संतुलन साधते हुए सभी वर्गों को तरजीह देने का काम होगा। पर्यवेक्षक एक सप्ताह फील्ड में प्रदेश कांग्रेस के दो-दो नेताओं का भी सहयोग लेंगे लेकिन अपनी रिपोर्ट तैयार करने के बाद में किसी नेता विशेष को नहीं बल्कि हरियाणा कांग्रेस मामलों के प्रभारी को सौंपी जाएगी।

22 जिलों में पर्यवेक्षकों की तैयारी
प्रदेश में एक दशक बाद कांग्रेस में जान डालने की कवायद के तहत इस कवायद में जुटे सभी 22 जिलों में पर्यवेक्षकों ने जाने की तैयारी कर ली है। इस बार एक सप्ताह के अंदर वे दो सदस्यों को साथ में लेकर सारी तरह के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए छह नामों का विकल्प देंगे, जिसमें महिला, दलित, पिछड़ा, अगड़ा सभी तरह के चेहरों को शामिल किया जाएगा। पर्यवेक्षक अपनी सिफारिश भी साथ में देंगे साथ ही उसके पीछे के बड़े कारण बताने का काम करेंगे। यह रिपोर्ट तैयार करने के बाद में राज्य कांग्रेस मामलो के प्रभारी बीके हरिप्रसाद को सौंपी जाएगी। हरिप्रसाद इस मामले में रिपोर्ट को हाईकमान के सामने अर्थात सीधे ही केसी वेणुगोगापल को देंगे।

जिला अध्यक्षों की नियुक्ति से पारदर्शी से करनी होगी
अहम बात यहां पर यह है कि इस बार कांग्रेस में भाई भतीजावाद और क्षेत्रवाद किसी नेता की पर्ची पर जिला अध्यक्ष नहीं बनेंगे बल्कि, सीधे हाईकमान के दूत यह नाम तय करेंगे। यहां पर बता दें कि राहुल गांधी ने जून के अंत तक दो बैठकों में लंबी चर्चा के बाद साफ कर दिया कि माह के अंत तक जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का काम पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से करना होगा। उसी क्रम में सभी पर्यवेक्षकों ने जिलों की तरफ रुख कर लिया है। सभी जिलों में तमाम बातों का फीडबैक और अध्ययन करने के बाद में छह नाम दिए जाएंगे। राहुल गांधी ने बार बार समय सीमा के अंदर जिला अध्यक्षों को लेकर दिया होमवर्क निपटाने को कहा है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों से कहा कि वे न किसी नेता से डरें और दबाव व प्रभाव में नहीं आएं।

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