होलिका दहन 13 मार्च को प्रदोष काल में, 30 साल बाद होलिका दहन पर दुर्लभ शूल योग

admin
admin धर्म 12 Views
2 Min Read

 होलिका दहन इस बार 13 मार्च को प्रदोष काल में किया जाएगा। पंचांग गणना के अनुसार यह पर्व फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी के बाद पूर्णिमा तिथि पर पड़ेगा। इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, धृति योग के बाद शूल योग, वणिज करण के बाद बव करण और सिंह राशि के चंद्रमा की साक्षी में होलिका दहन(Holika Dahan 2025) संपन्न होगा।

तीन ग्रहों की विशेष युति
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार होलिका दहन के दिन सूर्य, बुध और शनि की कुंभ राशि में युति बन रही है। साथ ही शूल योग और गुरुवार का दिन इस पर्व को और भी विशिष्ट बना रहे हैं। ऐसा संयोग 30 साल पहले 1995 में बना था, जो अब 2025 में फिर से बनने जा रहा है। इस विशेष योग में की गई मंत्र, यंत्र और तंत्र साधना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। यही कारण है कि इसे ‘सिद्ध रात्रि’ भी कहा जाता है।

रात्रि 11:30 के बाद होगा होलिका दहन
धर्मशास्त्रों के अनुसार होलिका दहन(Holi 2025) भद्रा समाप्त होने के बाद ही किया जाना चाहिए। अत: रात्रि 11:30 के बाद दहन शुभ रहेगा। हालांकि, कुछ स्थानों पर मध्यरात्रि या ब्रह्म मुहूर्त में भी होलिका दहन(Holika Dahan 2025) की परंपरा है, लेकिन रात्रिकाल में ही यह अनुष्ठान सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

भद्रा का रहेगा प्रभाव, पर प्रदोष काल रहेगा शुभ
इस दिन सुबह 10:23 बजे से रात 11:30 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा। हालांकि, धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रदोष काल में किया पूजन शुभ फलदायी होता है। पंचांग गणना के मुताबिक, इस बार सिंह राशि का चंद्रमा भद्रा का वास पृथ्वी पर बता रहा है, पर बड़े पर्वों के दौरान भद्रा के पूंछ का विचार किया जाता है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार, भद्रा के अंतिम भाग में होलिका पूजन से यश और विजय की प्राप्ति होती है।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *