बच्चों के अध्ययन कक्ष के लिए वास्तु टिप्स

admin
admin धर्म 24 Views
4 Min Read

अक्सर देखा गया है कि बच्चों का अचानक से पढ़ाई लिखाई से मन नहीं लगता और पढ़ाई से संबंधित चीजों को याद रख पाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कंपटीशन की वजह से बच्चे अक्सर तनाव में भी देखे गए हैं। बच्चों की इन समस्या का एक कारण कहीं ना कहीं वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु दोष की वजह से बच्चे अक्सर बीमार रहते हैं या पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता या आलस्य हावी रहता है। आज हम आपको वास्तु के कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है और मन में उल्लास बना रहता है। आइए जानते हैं बच्चों की दुविधाओं को दूर करने के वास्तु उपाय…

इस रंग की ना हों दीवारें

वास्तु शास्त्र के अनुसार, बच्चे जहां पढ़ाई करते हों वहां की दीवारे हमेशा बादामी, आसमानी, सफेद या हल्का फिरोजी रंग की होनी चाहिए। साथ बच्चों की स्टडी टेबल भी इसी रंग की हों तो और भी बेहतर रहेगा। बच्चों के पढ़ाई के कमरे कभी भी नीले, काले या लाल पेंट के नहीं होने चाहिए, ऐसा होने से बच्चों की पढ़ाई को नुकसान होता है।

पढ़ाई के कमरे में ना हों ये चीजें

बच्चों के पढ़ाई के कमरे में रोशनी भरपूर होनी चाहिए। कम रोशनी नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिसकी वजह से बच्चों का मन स्थिर नहीं रहता है और पढ़ाई लिखाई में नीरसता आती है। साथ ही स्टडी रूम में टीवी, मैगजीन, सीडी प्लेयर, वीडियो गेम्स, रद्दी आदि अनुपयोगी सामान ना रखें, ये चीजें भी नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।

इस तरह की रखें बच्चों की स्टडी टेबल

अक्सर देखा गया है कि बच्चों का अचानक से पढ़ाई लिखाई से मन नहीं लगता और पढ़ाई से संबंधित चीजों को याद रख पाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कंपटीशन की वजह से बच्चे अक्सर तनाव में भी देखे गए हैं। बच्चों की इन समस्या का एक कारण कहीं ना कहीं वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु दोष की वजह से बच्चे अक्सर बीमार रहते हैं या पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता या आलस्य हावी रहता है। आज हम आपको वास्तु के कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है और मन में उल्लास बना रहता है।

इस दिशा में हो पढ़ाई का कमरा

बच्चों के पढ़ाई का कमरा हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस दिशा के स्वामी सूर्यदेव हैं और सूर्यदेव तेज, शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। इस वजह से उत्तर पूर्व दिशा बच्चों के मन, बुद्धि और विवेक को प्रभावित करती है। ध्यान रखें कि बच्चों की पढ़ाई का कमरा कभी भी दक्षिण या दक्षिण पूर्व दिशा नहीं होनी चाहिए। इस दिशा में कमरा होने से बच्चों की पढ़ाई लिखाई में एकाग्रता नहीं रहती।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *