बिहार के सुपरफूड मखाना को अब दुनिया भर में मिलेगी पहचान, मिला हर्मोनाइज्ड सिस्टम कोड

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पटना

बिहार के सुपरफूड मखाना को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खास हर्मोनाइज्ड सिस्टम (HS) कोड मिल जाने से अब इसे वैश्विक स्तर पर विशेष पहचान मिलेगी। बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में खेती होने वाले मखाना को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खास एचएस कोड प्रदान किया गया है। इससे इस खास किस्म के जल फल को नई पहचान मिली है। इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है। वर्षों के सतत प्रयासों के बाद मखाना उत्पादकों, प्रोसेसर्स और उद्यमियों को अब उनका हक मिला है।

मखाना को वैश्विक बाजार में मिलेगी अपनी विशिष्ट पहचान
मिथिलांचल खासकर दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार समेत अन्य जिलों की खास पहचान यह मखाना है। इस कोड के मिलने से यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपने अलग नाम और हक से जाना जाएगा। इस कोड के मिलने से मखाना को वैश्विक बाजार में अपनी विशिष्ट पहचान मिलेगी, जिससे इसके व्यापार में पारदर्शिता और सहूलियत बढ़ेगी। मखाना को तीन विशिष्ट श्रेणी में बांटकर इसके लिए एचएस कोड निर्धारित किए गए हैं। इसमें पॉप्ड मखाना के लिए 20081921, मखाना पॉउडर, आटा के लिए 20081922 और अन्य तरह के मखाना उत्पादों के लिए 20081929 कोड शामिल है। इससे मखाना का वैश्विक स्तर पर व्यापार कराने में विशिष्ट पहचान मिलेगी, जिससे निर्यात, टैक्सेशन समेत अन्य व्यापारिक प्रक्रियाएं पारदर्शी और सरल होंगी।

किसानों को इसका सीधा लाभ
अंतरराष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त प्रणाली है, जिसे विश्व सीमा शुल्क संगठन के स्तर से वस्तुओं के व्यापार (निर्यात,आयात) के लिए वर्गीकरण करने के लिए किया गया है। इसके तहत चुने गए प्रत्येक उत्पाद को एक छह अंकों का अंतरराष्ट्रीय कोड मिलता है। भारत जैसे देशों में खासतौर पर जीएसटी और कस्टम के लिए आठ अंकों का कोड उपयोग में लाया जाता है। अपनी अलग पहचान मिलने से किसानों को इसका सीधा लाभ मिल सकेगा। इससे सरकारी योजनाओं और निर्यात प्रोत्साहनों का लाभ आसानी से मिलेगा। सप्लाई चेन, मार्केटिंग और टैक्स वर्गीकरण में सरलता आएगी।

विदेशों में क्लियरेंस में भी होगी आसानी
इसके आधार पर प्रसंस्करण और स्टाटर्अप उद्योग संचालित करने वालों को बेहद समहूलियत मिलेगी। वस्तु पर एचएस कोड लगा होने से सीमा शुल्क अधिकारी उत्पाद की सही तरीके से पहचान कर उचित शुल्क लगाते हैं। वैश्विक मानकों के आधार पर इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसानी से स्वीकृति मिलेगी और विदेशों में क्लियरेंस में भी आसानी होगी।

 

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