नायब सिंह सैनी सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि प्रदेश के 20 जिलों में शराब के ठेकों के लिए कोई बोली ही नहीं लगी

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 चंडीगढ़

दारू और बारू यानी बालू के ठेकों को अच्छी कमाई का जरिया माना जाता रहा है। किसी भी राज्य में शराब के ठेकों के लिए बोली लगाने की होड़ रहती है और इसकी वजह इनसे होने वाली मोटी कमाई है। लेकिन हरियाणा में लोग शराब के ठेकों के लिए बोली ही नहीं लगा रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कारण इस धंधे में गैंगस्टरों का शामिल होना है। इसके चलते कोई भी ऐसा व्यक्ति इस धंधे के लिए बोली नहीं लगाना चाहता है, जो बाहुबली न हो और क्राइम से उसका वास्ता न हो। हरियाणा में सरकार के लिए शराब उद्योग से मिलने वाला रेवेन्यू विकास और गरीब कल्याण की नीतियां बनाने में काम आता रहा है।

नायब सिंह सैनी सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि प्रदेश के 22 जिलों में से 20 ऐसे हैं, जहां शराब के ठेकों के लिए कोई बोली ही नहीं लगी है। 5 बार ऑनलाइन नीलामी का विज्ञापन जारी किया जा चुका है, लेकिन कोई भी बोली लगाने के लिए आगे नहीं आ रहा। बड़ी बात यह है कि इनमें से कई दुकानें तो गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला और यमुनानगर में हैं। इन शहरों की शराब दुकानों को अच्छी कमाई वाला माना जाता है। फिर भी यहां की दुकानें बोली का इंतजार कर रही हैं। अब तक किसी के लिए भी इन दुकानों का आवंटन नहीं हो सका है।

दरअसल कुरुक्षेत्र में 13 जून को एक शराब कारोबारी की हत्या हो गई थी। उसके बाद से पूरे प्रदेश में ही डर और बढ़ गया है। रोहतक और यमुनानगर में भी शराब के ठेकों के लिए बोली लगाने के इच्छुक कुछ लोगों को धमकियां दी गई हैं। हालात यह है कि सीएम नायब सिंह सैनी ने खुद शराब कारोबारियों की एक मीटिंग बुलाई। इस बैठक में उन्होंने लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया और कहा कि आप लोग डरें नहीं। हम कारोबार के लिए अच्छा माहौल प्रदान करेंगे। इसके अलावा उन्होंने डीजीपी को भी आदेश दिया कि वह अपराधियों पर सख्त ऐक्शन लें। शराब ठेकों के लिए बोली लगाने वालों को कोई यदि धमकाता है तो उन पर कार्रवाई की जाए।

हरियाणा में हमेशा से ही शराब के ठेकों का कारोबार दबंगों का बिजनेस रहा है। इसमें कोई आम व्यक्ति शामिल नहीं होना चाहता। इस कारोबार में बड़े पैमाने पर हिंसा और धमकियां शामिल रही हैं। लेकिन इस बार स्थिति और ज्यादा खराब है। कारोबारियों के साथ ही आबकारी विभाग के अधिकारियों तक को डराने के मामले सामने आ रहे हैं। हरियाणा में शराब का कारोबार किसी बड़े सिंडिकेट या फिर कार्टेल के माध्यम से नहीं चलता। इसकी बजाय यहां ऑनलाइन बोली लगती है। लेकिन इस बार धमकियों के चलते लोग बोली लगाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
भाजपा सरकार ने बढ़ाया आबकारी विभाग से रेवेन्यू का टारगेट

बता दें कि मौजूदा वित्त वर्ष में हरियाणा की भाजपा सरकार ने आबकारी विभाग से ही 14,063 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जुटाने का लक्ष्य तय किया है। इससे पहले बीते वित्त वर्ष में यह 11,054 करोड़ रुपये ही था। अब तक करीब 260 जोन ऐसे हैं, जहां बोली नहीं लगी है और इनसे ही करीब 4000 करोड़ के रेवेन्यू की उम्मीद है।

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