इंदौर मेट्रो में यात्रियों की संख्या 50% से ज्यादा गिरी, जानें वजहें

admin
4 Min Read

इंदौर

मई 2025 को 6.3 किमी के सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर पर कमर्शियल सेवा शुरू करने के बाद शुरुआती हफ्ते में मुफ्त सुविधा से 50,000 से अधिक लोग ने सफर किया, लेकिन 8 जून से किराया लागू होने के बाद यात्री संख्या 20,000 से नीचे आ गई। मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के अनुसार, किराया 20-30 रुपये है। लोग कहते हैं कि छोटा रूट और कम स्टेशन होने से वे बस या ऑटो चुन रहे हैं। डिस्काउंट स्कीम शुरू की गई, मगर इसका असर सीमित रहा।

मेट्रो का कॉरिडोर गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर स्टेशन नंबर 3 तक है, जिसमें 5 स्टॉप हैं। किराया लागू होने के बाद पहले तीन महीनों के लिए छूट दी गई—दूसरे हफ्ते 75%, तीसरे हफ्ते 50%, और तीसरे महीने तक 25%। फिर भी, लोग मेट्रो कम चुन रहे हैं। रेडिसन स्क्वायर तक लाइन बढ़ने से स्थिति सुधर सकती है। AICTSL बसों के साथ जोड़ने की योजना भी है।

इंदौर मेट्रो रेल कार्पोरेशन के अधिकारियों के अनुसार 31 मई को मेट्रो का उद्घाटन हुआ और 8 जून तक यात्रियों को फ्री सफर कराया गया। इस दौरान 1 जून को 26,803 और 8 जून को 18,087 यात्रियों ने ट्रेन का सफर किया। किराए में छूट के साथ 9 जून से किराया और टिकट अनिवार्य हुआ। इस दिन 4022 यात्रियों ने ही सफर किया। 10 जून का यह संख्या 3350 रह गई और बुधवार को लगभग 3 हजार। कार्पोरेशन के अधिकारियों को वीक एंड पर यात्रियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

15 जून तक मिलेगी किराए में छूट

इंदौर मेट्रो में दो स्टेशनों के बीच सफर करने पर 5 रुपए और पांच स्टेशनों तक यात्रा करने पर 8 रुपए का टिकट लग रहा है। 8 से 15 जून तक मेट्रो किराए में 75% की छूट दी जा रही है। देवी अहिल्याबाई होलकर स्टेशन (गांधी नगर) से मेट्रो में चढ़कर पांचवें स्टेशन वीरांगना झलकारी बाई (टीसीएस) स्टेशन पर उतरने पर यात्री को 8 रुपए किराया देना होगा। यदि यात्री वीरांगना झलकारी बाई स्टेशन से वापस देवी अहिल्याबाई होलकर स्टेशन तक यात्रा करता है, तो उसे फिर से 8 रुपए का टिकट लेना होगा।

कमी की वजह किराया या पहुंच?

किराया लागू होना यात्री कमी का बड़ा कारण है। 20-30 रुपये छोटी दूरी के लिए महंगा लगता है। सुपर कॉरिडोर में IT कर्मचारी मेट्रो लेते हैं, मगर आम लोग ऑटो और बस को सस्ता मानते हैं। केवल 5 स्टेशन और 6.3 किमी का रूट सीमित है। स्टेशनों तक पहुंचने में समय और खर्च बढ़ता है। लोग सुविधा और लागत देखकर बस या ऑटो लेते हैं। मेट्रो का दायरा बढ़ाने की जरूरत है।

सुविधाएं और चुनौतियां

मेट्रो में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स, QR-कोड टिकट, और रियल-टाइम ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं हैं। ट्रेनें एयर-कंडीशंड हैं, दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर स्पेस और दृष्टिबाधितों के लिए ऑडियो सिस्टम है। मगर टिकटिंग अभी मैनुअल है, क्योंकि ऑटोमैटिक सिस्टम की जांच चल रही है। थर्ड रेल और AI-बेस्ड कंट्रोल पर्यावरण-अनुकूल हैं। रूट विस्तार में देरी चुनौती है। रेडिसन स्क्वायर तक लाइन पूरी होने तक बड़ा बदलाव मुश्किल है।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *