बिहार सरकार ने दी 12 एकड़ भूमि, तीर्थ स्थल का भी होगा विकास

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नई दिल्ली

नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में रामायण रिसर्च काउंसिल के देखरेख में मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में भव्य मंदिर निर्माण के लिए प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इस दौरान प्रेस वार्ता में बताया गया कि सीतामढ़ी में मां सीताजी के लिए बड़ा मंदिर बनाने की योजना है। बिहार सरकार ने काउंसिल को इस काम के लिए 12 एकड़ जमीन दी है। काउंसिल के स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने सरकार का धन्यवाद किया।

कहां पर बनेगा मां सीता का भव्य मंदिर?
मंदिर के स्थान को लेकर स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि मां सीताजी का प्राकट्य स्थल और मंदिर बनने वाला स्थान अलग है। सीतामढ़ी में जो जगह है, वह मां सीताजी के प्राकट्य स्थल से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। इस जगह का नाम श्रीरामजानकी स्थान है, जो बहुत पुराना और पवित्र मठ है। इसे ठीक करने और मंदिर बनाने के लिए काउंसिल लंबे समय से कोशिश कर रही थी।

सीतामढ़ी को बनाया जाएगा तीर्थ स्थल
बता दें कि इस प्रेस वार्ता में कई संत और धर्मगुरु मौजूद थे। उन्होंने बताया कि सीतामढ़ी को तीर्थ स्थल बनाया जाएगा। यहां एक 108 फीट ऊंचा श्रीहनुमान जी की मूर्ति भी बनाई जाएगी। सभी संत मिलकर इस काम को आगे बढ़ाएंगे और लोगों को जोड़ेंगे।

राम मंदिर जैसा भव्य बनेगा मां सीता का मंदिर
वहीं मंदिर के निर्माण को लेकर जूना अखाड़े के स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि जैसे अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर है, वैसे ही सीतामढ़ी में भी मां सीताजी के मंदिर को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर बनाने के साथ-साथ मां सीताजी के जीवन की सीख भी दुनिया तक पहुंचाई जाएगी।

इसके साथ ही सीतामढ़ी के सांसद देवेशचंद्र ठाकुर ने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि बिहार सरकार और केंद्र सरकार मां सीताजी के मंदिर के लिए काम कर रही हैं। रामायण रिसर्च काउंसिल भी तीर्थ स्थल बनाने में मदद कर रही है।

पीएम मोदी से हाथों होगी भूमि पूजा
काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत ने बताया कि जल्द ही मंदिर के लिए भूमि पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराई जाएगी। काउंसिल 51 शक्तिपीठों से मिट्टी और ज्योत लाकर मां सीताजी को स्थापित करेगी। गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में कई प्रमुख लोग और अधिकारी मौजूद थे। सभी ने मिलकर इस मंदिर निर्माण के लिए पूरी मदद करने का वादा किया है। इससे सीतामढ़ी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से और भी खास बनेगा।

 

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